जब देवता, ऋषि-मुनि ब्रह्मा जी के पास पहुंचे:विष्णु जी बोले-सभी करें शिवलिंग की पूजा, विश्वकर्मा ने सबके लिए बनाया अलग-अलग शिवलिंग

जब देवता, ऋषि-मुनि ब्रह्मा जी के पास पहुंचे:विष्णु जी बोले-सभी करें शिवलिंग की पूजा, विश्वकर्मा ने सबके लिए बनाया अलग-अलग शिवलिंग

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22 मिनट पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता

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कहानी – एक बार सभी देवता, ऋषि-मुनि और ब्राह्मण इकट्ठा होकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। सभी ने ब्रह्मा जी से पूछा, ‘शिव पूजा सबसे अच्छे ढंग से कैसे की जानी चाहिए?’

ब्रह्मा जी सभी को लेकर विष्णु जी के पास पहुंचे। तब विष्णु जी ने कहा, ‘शिव जी की शिवलिंग रूप में पूजा करनी चाहिए।’ विष्णु जी ने विश्वकर्मा को बुलाया और कहा, ‘इन सभी देवताओं, ऋषि-मुनियों और ब्राह्मणों के लिए अलग-अलग शिवलिंग बनाकर इन्हें दे दीजिए।’

विश्वकर्मा जी ने ऐसा ही किया। देवताओं के राजा इंद्र को पद्मराग मणि से बने शिवलिंग दिए। कुबेर देव को सोने का, धर्म को पुखराज का, वरुणदेव को श्याम वर्ण का शिवलिंग दिया। अश्विनी कुमारों को पार्थिव शिवलिंग दिए। लक्ष्मी जी को स्फटिक का शिवलिंग दिया। ब्राह्मणों को मिट्टी से बने शिवलिंग दिए।

ब्रह्मा जी ने सभी से कहा, ‘शिवलिंग की पूजा के साथ ही ध्यान भी करें। साथ ही, पांच देवताओं की भी पूजा जरूर करें। ये पंचदेव हैं – गणेश, सूर्य, दुर्गा, विष्णु और शिव। धन कमाने के साथ ही हमें धर्म-कर्म भी करना चाहिए। तभी जीवन चलेगा।’

ब्रह्मा जी ने शिवलिंग के साथ ही पंचदेवों की पूजा करने के लिए भी कहा है। ये पंचदेव प्रकृति के पंचतत्वों के देवता हैं। ये पंचतत्व हैं, पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्नि। जब हम पंचदेवों की पूजा करते हैं तो हम प्रकृति के पंचतत्वों का सम्मान करते हैं।

सीख – पंचतत्वों का सम्मान करने से हमें स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। प्रकृति का, पेड़-पौधे और जल का विशेष ध्यान रखें, कहीं भी गंदगी न करें, तभी हम भी सुरक्षित रहेंगे।

Hindi NewsNationalAaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Significance Of Nature Vishnu Ji Said Everyone Should Worship Shivling, Vishwakarma Made A Different Shivling For Everyone22 मिनट पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहताकॉपी लिंककहानी – एक बार सभी देवता, ऋषि-मुनि और ब्राह्मण इकट्ठा होकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। सभी ने ब्रह्मा जी से पूछा, ‘शिव पूजा सबसे अच्छे ढंग से कैसे की जानी चाहिए?’ब्रह्मा जी सभी को लेकर विष्णु जी के पास पहुंचे। तब विष्णु जी ने कहा, ‘शिव जी की शिवलिंग रूप में पूजा करनी चाहिए।’ विष्णु जी ने विश्वकर्मा को बुलाया और कहा, ‘इन सभी देवताओं, ऋषि-मुनियों और ब्राह्मणों के लिए अलग-अलग शिवलिंग बनाकर इन्हें दे दीजिए।’विश्वकर्मा जी ने ऐसा ही किया। देवताओं के राजा इंद्र को पद्मराग मणि से बने शिवलिंग दिए। कुबेर देव को सोने का, धर्म को पुखराज का, वरुणदेव को श्याम वर्ण का शिवलिंग दिया। अश्विनी कुमारों को पार्थिव शिवलिंग दिए। लक्ष्मी जी को स्फटिक का शिवलिंग दिया। ब्राह्मणों को मिट्टी से बने शिवलिंग दिए।ब्रह्मा जी ने सभी से कहा, ‘शिवलिंग की पूजा के साथ ही ध्यान भी करें। साथ ही, पांच देवताओं की भी पूजा जरूर करें। ये पंचदेव हैं – गणेश, सूर्य, दुर्गा, विष्णु और शिव। धन कमाने के साथ ही हमें धर्म-कर्म भी करना चाहिए। तभी जीवन चलेगा।’ब्रह्मा जी ने शिवलिंग के साथ ही पंचदेवों की पूजा करने के लिए भी कहा है। ये पंचदेव प्रकृति के पंचतत्वों के देवता हैं। ये पंचतत्व हैं, पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्नि। जब हम पंचदेवों की पूजा करते हैं तो हम प्रकृति के पंचतत्वों का सम्मान करते हैं।सीख – पंचतत्वों का सम्मान करने से हमें स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। प्रकृति का, पेड़-पौधे और जल का विशेष ध्यान रखें, कहीं भी गंदगी न करें, तभी हम भी सुरक्षित रहेंगे।

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