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चंडीगढ़एक घंटा पहले
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पंजाब में अगर हंग असेंबली की नौबत आई तो 2-3 दल गठबंधन कर सरकार बना सकते हैं, यह दावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया है। इससे पहले अकाली नेता बिक्रम मजीठिया भी कह चुके हैं कि चुनाव परिणाम के बाद भाजपा से गठबंधन हो सकता है। पंजाब में मौजूदा हालात में सबसे बड़े आसार अकाली दल और भाजपा के साथ आने के हैं। जिसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह भी साथ होंगे। हालांकि यह सब मतगणना के बाद पार्टियों को मिली सीटों पर निर्भर करेगा। पंजाब में 20 फरवरी को मतदान हो चुका है और मतगणना 10 मार्च को होगी।
पंजाब में गठबंधन की यह तस्वीरें संभव
समझौते की सबसे बड़ी तस्वीर : अकाली दल और भाजपा में गठबंधन हो सकता है। अकाली दल इस बार बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा है। वहीं, भाजपा कैप्टन अमरिंदर सिंह और शिअद संयुक्त के साथ चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस और आप को रोकने के लिए यह पांचों पार्टियां साथ आ सकती हैं।
पढ़िए … इसके संकेत और वजहें
- पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन 25 साल में तीन बार 1997, 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता में रहा है।
- अकाली दल और भाजपा गठजोड़ की वजह टूटने का कारण बने कृषि सुधार कानून वापस हो चुके हैं।
- अकाली दल ने भाजपा, कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव ढींढसा पर कोई बड़ा हमला नहीं किया। अकाली दल और भाजपा के रिश्ते भी नरम दिखे।
कांग्रेस और आप पहले भी मिल चुके : कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ आने की चर्चा भी है। ऐसा पहले वह एक बार दिल्ली में कर चुके हैं। हालांकि दिल्ली में निगम चुनाव होने हैं, ऐसे में वहां इनको नुकसान हो सकता है। कांग्रेस के साथ दूसरी किसी पार्टी का गठबंधन संभव नहीं लगता। भाजपा की यह धुर विरोधी है। वहीं अकाली दल पंजाब में दबदबे के लिए कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाएगा।
अकाली दल और आप, संभावना लेकिन मुश्किल: अकाली दल और आम आदमी पार्टी के गठबंधन की संभावना बन सकती है। इस बार आप के निशाने पर ज्यादा सीएम चरणजीत चन्नी रहे। हालांकि अकाली दल ने बाहरी पार्टी बता आप पर निशाने साधे। आप से गठबंधन किया तो यह अकाली दल के क्षेत्रीय आधार के लिए ही मुसीबत बनेगा।
गठबंधन पार्टियों की मजबूरी भी
हंग एसेंबली की नौबत आई तो पंजाब में गठबंधन करना हर पार्टी की मजबूरी होगी। अकाली दल 5 साल से सत्ता से बाहर है और पंजाब के अलावा किसी राज्य में नहीं है। ऐसे में यहां सत्ता न मिली तो पार्टी को नुकसान होना तय है।
- आम आदमी पार्टी के पास दिल्ली के अलावा कहीं सत्ता नहीं। 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। उससे पहले पंजाब में सरकार बनी तो इसका असर देश के दूसरे हिस्सों में दिखेगा। सरकार न बनी तो अगले विधानसभा चुनाव तक लोग उनसे किनारा कर सकते हैं।
- कांग्रेस ने पंजाब में SC मुख्यमंत्री का दांव खेला। इसके लिए चरणजीत चन्नी को आगे किया। नवजोत सिद्धू जैसे नेता को किनारे कर दिया। ऐसे में कांग्रेस अपने इस दांव को सही साबित करने के लिए दोबारा सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगाएगी।
- भाजपा पहली बार पंजाब में अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ रही है। भाजपा पंजाब में पहचान और स्वीकार्यता को लेकर चुनौती झेल रही है। ऐसे में अगर सरकार में आए तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इसका असर दिखेगा।
- कैप्टन अमरिंदर सिंह की पूरी कोशिश कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने की है। कांग्रेस ने उन्हें चुनाव से साढ़े 3 महीने पहले CM की कुर्सी से उतार दिया। ऐसे में वह कांग्रेस को सबक सिखाना चाहते हैं। ऐसे में जोड़तोड़ से बनी सरकार के जरिए कांग्रेस को दूर रखा जा सके तो उन्हें इस पर एतराज नहीं होगा।

पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा।
इस बार कम वोटिंग, राज्य में एक जैसी लहर नहीं
पंजाब में इस बार कम वोटिंग हुई है। साल 2017 में 77.20% के मुकाबले इस बार 71.95% यानी 5% कम वोटिंग हुई है। तीन क्षेत्रों में बंटे पंजाब के मालवा में बंपर वोटिंग हुई है। यहां सबसे ज्यादा 69 सीटें हैं। वहीं दोआबा और माझा में कम मतदान हुआ है। गांवों में ज्यादा मतदान हुआ लेकिन अमृतसर, जालंधर और लुधियाना जैसे बड़े शहरों में मतदान काफी कम हुआ। पंजाब में कम मतदान के वक्त हर बार सरकार में बदलाव हुआ लेकिन वह कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा। इस बार कांग्रेस खुद ही सत्ता में है तो सियासी पंडित भी असमंजस में हैं।
Hindi NewsLocalPunjabAmit Shah Punjab | Home Minister Amit Shah On BJP Punjab Alliance And President’s Ruleचंडीगढ़एक घंटा पहलेकॉपी लिंकपंजाब में अगर हंग असेंबली की नौबत आई तो 2-3 दल गठबंधन कर सरकार बना सकते हैं, यह दावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया है। इससे पहले अकाली नेता बिक्रम मजीठिया भी कह चुके हैं कि चुनाव परिणाम के बाद भाजपा से गठबंधन हो सकता है। पंजाब में मौजूदा हालात में सबसे बड़े आसार अकाली दल और भाजपा के साथ आने के हैं। जिसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह भी साथ होंगे। हालांकि यह सब मतगणना के बाद पार्टियों को मिली सीटों पर निर्भर करेगा। पंजाब में 20 फरवरी को मतदान हो चुका है और मतगणना 10 मार्च को होगी।पंजाब में गठबंधन की यह तस्वीरें संभवसमझौते की सबसे बड़ी तस्वीर : अकाली दल और भाजपा में गठबंधन हो सकता है। अकाली दल इस बार बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा है। वहीं, भाजपा कैप्टन अमरिंदर सिंह और शिअद संयुक्त के साथ चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस और आप को रोकने के लिए यह पांचों पार्टियां साथ आ सकती हैं।पढ़िए … इसके संकेत और वजहेंपंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन 25 साल में तीन बार 1997, 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता में रहा है।अकाली दल और भाजपा गठजोड़ की वजह टूटने का कारण बने कृषि सुधार कानून वापस हो चुके हैं।अकाली दल ने भाजपा, कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव ढींढसा पर कोई बड़ा हमला नहीं किया। अकाली दल और भाजपा के रिश्ते भी नरम दिखे।कांग्रेस और आप पहले भी मिल चुके : कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ आने की चर्चा भी है। ऐसा पहले वह एक बार दिल्ली में कर चुके हैं। हालांकि दिल्ली में निगम चुनाव होने हैं, ऐसे में वहां इनको नुकसान हो सकता है। कांग्रेस के साथ दूसरी किसी पार्टी का गठबंधन संभव नहीं लगता। भाजपा की यह धुर विरोधी है। वहीं अकाली दल पंजाब में दबदबे के लिए कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाएगा।अकाली दल और आप, संभावना लेकिन मुश्किल: अकाली दल और आम आदमी पार्टी के गठबंधन की संभावना बन सकती है। इस बार आप के निशाने पर ज्यादा सीएम चरणजीत चन्नी रहे। हालांकि अकाली दल ने बाहरी पार्टी बता आप पर निशाने साधे। आप से गठबंधन किया तो यह अकाली दल के क्षेत्रीय आधार के लिए ही मुसीबत बनेगा।गठबंधन पार्टियों की मजबूरी भीहंग एसेंबली की नौबत आई तो पंजाब में गठबंधन करना हर पार्टी की मजबूरी होगी। अकाली दल 5 साल से सत्ता से बाहर है और पंजाब के अलावा किसी राज्य में नहीं है। ऐसे में यहां सत्ता न मिली तो पार्टी को नुकसान होना तय है।आम आदमी पार्टी के पास दिल्ली के अलावा कहीं सत्ता नहीं। 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। उससे पहले पंजाब में सरकार बनी तो इसका असर देश के दूसरे हिस्सों में दिखेगा। सरकार न बनी तो अगले विधानसभा चुनाव तक लोग उनसे किनारा कर सकते हैं।कांग्रेस ने पंजाब में SC मुख्यमंत्री का दांव खेला। इसके लिए चरणजीत चन्नी को आगे किया। नवजोत सिद्धू जैसे नेता को किनारे कर दिया। ऐसे में कांग्रेस अपने इस दांव को सही साबित करने के लिए दोबारा सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगाएगी।भाजपा पहली बार पंजाब में अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ रही है। भाजपा पंजाब में पहचान और स्वीकार्यता को लेकर चुनौती झेल रही है। ऐसे में अगर सरकार में आए तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इसका असर दिखेगा।कैप्टन अमरिंदर सिंह की पूरी कोशिश कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने की है। कांग्रेस ने उन्हें चुनाव से साढ़े 3 महीने पहले CM की कुर्सी से उतार दिया। ऐसे में वह कांग्रेस को सबक सिखाना चाहते हैं। ऐसे में जोड़तोड़ से बनी सरकार के जरिए कांग्रेस को दूर रखा जा सके तो उन्हें इस पर एतराज नहीं होगा।पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा।इस बार कम वोटिंग, राज्य में एक जैसी लहर नहींपंजाब में इस बार कम वोटिंग हुई है। साल 2017 में 77.20% के मुकाबले इस बार 71.95% यानी 5% कम वोटिंग हुई है। तीन क्षेत्रों में बंटे पंजाब के मालवा में बंपर वोटिंग हुई है। यहां सबसे ज्यादा 69 सीटें हैं। वहीं दोआबा और माझा में कम मतदान हुआ है। गांवों में ज्यादा मतदान हुआ लेकिन अमृतसर, जालंधर और लुधियाना जैसे बड़े शहरों में मतदान काफी कम हुआ। पंजाब में कम मतदान के वक्त हर बार सरकार में बदलाव हुआ लेकिन वह कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा। इस बार कांग्रेस खुद ही सत्ता में है तो सियासी पंडित भी असमंजस में हैं।