अफवाह के औजार

अफवाह के औजार

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वर्तमान दौर में फर्जी खबरों का बोलबाला किसी व्यक्ति या क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

हर हाथ में मोबाइल, हर काम में मोबाइल का हम सीधा-सा अर्थ निकाल सकते हैं कि सूचना का आदान-प्रदान बेहद सरल और सुविधाजनक हुआ है। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि लगातार फर्जी खबरों का विस्तार हो रहा है जो हमारे लिए एक बेहद चिंताजनक मुद्दा है। वर्तमान दौर में फर्जी खबरों का बोलबाला किसी व्यक्ति या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसने लगभग हर क्षेत्र में अपने पैर पसार लिए हैं। फर्जी खबरों का वर्चस्व किस स्तर तक होता है, हम पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान चलती खबरों की दुनिया से अंदाजा लगा सकते हैं। अक्सर भ्रमित करने वाली खबरों का बाजार गर्म है, जहां किसी नेता, राजनीतिक दल आदि के बारे में झूठी खबर फैला कर मतदाताओं को भयानक रूप से द्वंद में डाला जा रहा है।

हमने देखा कि हाल ही में एनटीपीसी रेलवे परीक्षा को लेकर भी झूठी खबरें फैलाई गर्इं, जिसका परिणाम यह हुआ कि छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया। हमने कई बार देखा है कि इन्हीं झूठी खबरों के जरिए अभिनेता, खेल जगत के खिलाड़ियों, किसी खास समुदाय, स्थान, व्यक्ति ऐतिहासिक घटनाओं आदि के बारे में लगातार नकारात्मक नजरिया आमजन में पैदा किया जाता है। इससे समाज में अराजकता का माहौल पैदा होता है जो हमारे भविष्य और विकास के लिए ठीक नहीं है। बढ़ती फर्जी खबरों के पीछे कुछ मूलभूत कमियां है। मसलन, जागरूकता की कमी, सरल इंटरनेट की उपलब्ध सेवा, सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सख्त कार्रवाई में निलंबन, आइटी एक्ट 2008 का अप्रभावी होना, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी आदि। देश में बढ़ती यह प्रवृत्ति बेहद नुकसानदायक है, क्योंकि इसी के चलते ही सांप्रदायिक दंगे होते हैं।

इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्र की छवि खराब होती है। समाज कट्टरवाद की ओर बढ़ता है। हत्याएं माब लिंचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। लोकतंत्र के मूल सिद्धांत को भी चोट पहुंचती है। आज समाज में नैतिकता और सहिष्णुता का पतन होने लगता है। इसके अतिरिक्त लोक व्यवस्था पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए वक्त की जरूरत है कि सरकार और खुफिया महकमे मिल कर इस क्षेत्र में सुधार के लिए जरूरी और ठोस कदम जल्द से जल्द उठाएं।

  • सौरव बुंदेला, भोपाल, मप्र

काबिलियत के मोर्चे

क्रिकेट में वैसे तो अनेक रेकार्ड हमारे देश और देश के खिलाड़ियों के नाम दर्ज हैं, मगर बात जब अंडर-19 क्रिकेट की आती है तो वहां भी हमारे लड़के किसी से कम नहीं ठहरते और यही वजह है कि पांचवी बार विश्व कप जीतकर हमने इतिहास रच डाला टूनार्मेंट के दौरान हमने एक भी मैच नहीं हारा। कई बार हमारी अंडर-19 टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया है। पूर्व में भी हमारे कई खिलाड़ियों ने यही से भारतीय टीम में जगह बनाकर शीर्ष मुकाम हासिल किया है। इस बार भी कई युवाओं ने ऐसा प्रदर्शन किया है कि वे भारतीय टीम में अपना स्थान जरूर बनाएंगे और वहां भी सफल रहेंगे।

  • साजिद अली, चंदन नगर, इंदौर, मप्र

वर्तमान दौर में फर्जी खबरों का बोलबाला किसी व्यक्ति या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। हर हाथ में मोबाइल, हर काम में मोबाइल का हम सीधा-सा अर्थ निकाल सकते हैं कि सूचना का आदान-प्रदान बेहद सरल और सुविधाजनक हुआ है। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि लगातार फर्जी खबरों का विस्तार हो रहा है जो हमारे लिए एक बेहद चिंताजनक मुद्दा है। वर्तमान दौर में फर्जी खबरों का बोलबाला किसी व्यक्ति या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसने लगभग हर क्षेत्र में अपने पैर पसार लिए हैं। फर्जी खबरों का वर्चस्व किस स्तर तक होता है, हम पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान चलती खबरों की दुनिया से अंदाजा लगा सकते हैं। अक्सर भ्रमित करने वाली खबरों का बाजार गर्म है, जहां किसी नेता, राजनीतिक दल आदि के बारे में झूठी खबर फैला कर मतदाताओं को भयानक रूप से द्वंद में डाला जा रहा है। हमने देखा कि हाल ही में एनटीपीसी रेलवे परीक्षा को लेकर भी झूठी खबरें फैलाई गर्इं, जिसका परिणाम यह हुआ कि छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया। हमने कई बार देखा है कि इन्हीं झूठी खबरों के जरिए अभिनेता, खेल जगत के खिलाड़ियों, किसी खास समुदाय, स्थान, व्यक्ति ऐतिहासिक घटनाओं आदि के बारे में लगातार नकारात्मक नजरिया आमजन में पैदा किया जाता है। इससे समाज में अराजकता का माहौल पैदा होता है जो हमारे भविष्य और विकास के लिए ठीक नहीं है। बढ़ती फर्जी खबरों के पीछे कुछ मूलभूत कमियां है। मसलन, जागरूकता की कमी, सरल इंटरनेट की उपलब्ध सेवा, सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सख्त कार्रवाई में निलंबन, आइटी एक्ट 2008 का अप्रभावी होना, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी आदि। देश में बढ़ती यह प्रवृत्ति बेहद नुकसानदायक है, क्योंकि इसी के चलते ही सांप्रदायिक दंगे होते हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्र की छवि खराब होती है। समाज कट्टरवाद की ओर बढ़ता है। हत्याएं माब लिंचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। लोकतंत्र के मूल सिद्धांत को भी चोट पहुंचती है। आज समाज में नैतिकता और सहिष्णुता का पतन होने लगता है। इसके अतिरिक्त लोक व्यवस्था पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए वक्त की जरूरत है कि सरकार और खुफिया महकमे मिल कर इस क्षेत्र में सुधार के लिए जरूरी और ठोस कदम जल्द से जल्द उठाएं। सौरव बुंदेला, भोपाल, मप्र काबिलियत के मोर्चे क्रिकेट में वैसे तो अनेक रेकार्ड हमारे देश और देश के खिलाड़ियों के नाम दर्ज हैं, मगर बात जब अंडर-19 क्रिकेट की आती है तो वहां भी हमारे लड़के किसी से कम नहीं ठहरते और यही वजह है कि पांचवी बार विश्व कप जीतकर हमने इतिहास रच डाला टूनार्मेंट के दौरान हमने एक भी मैच नहीं हारा। कई बार हमारी अंडर-19 टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया है। पूर्व में भी हमारे कई खिलाड़ियों ने यही से भारतीय टीम में जगह बनाकर शीर्ष मुकाम हासिल किया है। इस बार भी कई युवाओं ने ऐसा प्रदर्शन किया है कि वे भारतीय टीम में अपना स्थान जरूर बनाएंगे और वहां भी सफल रहेंगे। साजिद अली, चंदन नगर, इंदौर, मप्र

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