बीएसपी खो रही जमीन, हिंदू लामबंद… बीजेपी के बारे में मुस्लिम वोटरों को क्‍यों स्‍टैंड बदलने की जरूरत?

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नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Mar 10, 2022, 4:15 PM

यूपी में योगी की वापसी कई तरह के संकेत देती है। यह बताती है कि बीजेपी हिंदुत्‍व के मुद्दे पर हिंदुओं को लामबंद करने में कामयाब हुई है। यह भी साफ हो गया है कि मुस्लिम वोटर स्‍टैट्रेजिक वोटिंग से अब चुनाव की हवा का रुख नहीं बदल सकते हैं। लिहाजा, उन्‍हें अपनी रणनीति में बदलाव करना ही होगा।

UP Election Result: BJP की जीत के बाद रिपेयर होकर ऑफिस पहुंचा बुलडोजर, समर्थकों ने ये कहा

UP Chunav 2022: एक दौर था जब यूपी की सियासत में मुस्लिम वोटरों (Muslim Voters in UP) का रसूख होता था। वो चुनावी हवा बदल देते थे। हालांकि, इस वोट बैंक (Muslim Vote Bank) की वो ताकत अब लुप्त होती दिख रही है। सूबे की सत्‍ता में बीजेपी (BJP returning to Power) का दूसरी बार लौटना एक बात साफ कर देता है। अब मुस्लिम वोटरों को अपना स्‍टैंड बदलने की जरूरत है। अभी उनकी छवि घोर एंटी-बीजेपी वाली है। ये साफ हो गया है कि अब रणनीतिक वोटिंग से मुस्लिम वोटर उलटफेर नहीं कर सकते हैं। ऐसे में उन्‍हें बीजेपी को दुश्‍मन की तरह देखना बंद करना होगा। जहां तक बीजेपी का सवाल है तो वह अपनी रणनीति में सफल साबित हुई है। वह जातियों में बंटे हिंदुओं को हिंदुत्‍व के मुद्दे पर एकसाथ लाने में कामयाब हुई है। उसका धुआंधार प्रदर्शन इसकी बानगी है। राज्‍य में बीएसपी का धीरे-धीरे जमीन खोना भी इसका सबूत है। थोड़ा पीछे चलते हैं। 2014 से पहले। तब मुस्लिम वोट बैंक काफी मजबूत था। सपा, बीएसपी और कांग्रेस जिस तरफ ये वोटर चले जाते थे, उसके वारे-न्‍यारे कर देते थे। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं। यूपी में मुस्लिम वोटरों की तादाद 19 फीसदी से ज्‍यादा है। प्रदेश के 29 जिलों में मुसलमानों की आबादी इस औसत से कहीं ज्यादा है। रामपुर में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा 50.57 फीसदी है। मुरादाबाद और संभल में 47.12 फीसदी, बिजनौर में 43.03 फीसदी, सहारनपुर में 41.95 फीसदी, मुजफ्फरनगर और शामली में 41.30 फीसदी और अमरोहा में 40.78 फीसदी है।

Election Results : फर्क कितना साफ? फैसला आज, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के नतीजे आज

इनके अलावा 5 जिलों में मुसलमानों की आबादी 30 से 40 और 12 जिलों में 20 से 30 फीसदी के बीच है। कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां मुसलमानों की आबादी 19 फीसदी से ज्यादा और 20 फीसदी से कम है। सीतापुर में मुस्लिम आबादी 19.93 फीसदी, अलीगढ़ में 19.85 फीसदी, गोंडा में 19.76 फीसदी और मऊ में 19.43 फीसदी है। इन 29 जिलों में 163 विधानसभा सीटें हैं। संख्या के लिहाज से ये इन सीटों पर हार-जीत तय करने का दमखम रखते हैं। यह और बात है कि 2017 के चुनाव में सिर्फ 25 मुस्लिम ही विधायक बन पाए। 2014 के बाद मुस्लिम वोटों की अहमियत लगातार घटती गई है। 2012 में सपा को पहली बार पूर्ण बहुमत मिला था। इस जीत में मुस्लिम बहुल जिलों की सीटों का अहम योगदान था। इन 29 जिलों की 163 सीटों में सपा को 90 सीटें मिली थीं। बीएसपी को 30, बीजेपी को 22 और कांग्रेस को 11 सीटें मिली थीं।

बीजेपी ने किया अलग एक्‍सपेरिमेंट
परंपरागत लड़ाई से हटकर बीजेपी ने पिछले चुनावों में एक भी मुसलमान प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया था। इसके बावजूद पार्टी ने राज्‍य में बड़ी जीत हासिल की थी। पिछले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल 29 जिलों की 163 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 137 सीटें जीती थीं। दलितों के लिए आरक्षित 31 सीटों में बीजेपी को 29 सीटें मिली थीं। सपा इनमें से सिर्फ 21 सीटें जीत पाई थी और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन था। बसपा को सिर्फ एक सीट पर ही जीत मिली थी। एक-एक सीट आरएलडी और अपना दल को मिली थी।

ब्लॉग: यही रात अंतिम, यही रात भारी… चुनाव नतीजों से पहले पार्टियों में बेचैनी

बीजेपी के सफल प्रयोग से डरे दूसरे दल
यहां एक और बात समझनी होगी। मुस्लिम वोटरों को लेकर कांग्रेस, बीएसपी और सपा सहित तमाम दलों की स्‍ट्रैटेजी में भी बदलाव आया है। मुस्लिमों के मुद्दों पर जिस तरह से इन्‍होंने अपनी राजनीति की, उसे लेकर हिंदू वोटर इन सभी पार्टियों से धीरे-धीरे दूर गया। इसने बीजेपी को हिंदुत्‍व के एजेंडे पर जातियों में बंटे हिंदुओं को लामबंद करने का मौका दे दिया। जब दूसरी पार्टियों ने देखा कि उनकी छवि मुस्लिम समर्थक वाली बनने लगी है तो वो भी बीच का रास्‍ता अपनाने लगे। उन्‍होंने भी हिंदू और हिंदुत्‍व की बाते करनी शुरू कर दीं। हालांकि, तब तक देर हो चुकी थी। हिंदुओं को लामबंद कर बीजेपी 2014 से लगातार एक के बाद एक चुनाव जीतती जा रही है। यह सिलसिला बदस्‍तूर जारी है। तीन दशक के बाद योगी पहले सीएम होंगे जो अपने पद पर बने रहेंगे।

मुस्लिमों के लिए क्‍या है ऑप्‍शन?
मुस्लिमों को अब अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। उन्‍हें अपनी रणनीतिक वोटिंग की ताकत को बनाए रखना है। हालांकि, उन्‍हें बीजेपी को दुश्‍मन मानकर नहीं चलना होगा। उन्‍हें एंटी-बीजेपी वाली छवि को तोड़ना होगा। मुस्लिमों को नई राह पकड़नी होगी। इसी से वो अलग जगह बना पाएंगे।

Muslim Voter and BJP

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Web Title : up election results 2022: bsp losing ground, hindus mobilizing why muslim voters need to change their stand on bjp?
Hindi News from Navbharat Times, TIL Network

Curated by अमित शुक्‍ला | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Mar 10, 2022, 4:15 PMयूपी में योगी की वापसी कई तरह के संकेत देती है। यह बताती है कि बीजेपी हिंदुत्‍व के मुद्दे पर हिंदुओं को लामबंद करने में कामयाब हुई है। यह भी साफ हो गया है कि मुस्लिम वोटर स्‍टैट्रेजिक वोटिंग से अब चुनाव की हवा का रुख नहीं बदल सकते हैं। लिहाजा, उन्‍हें अपनी रणनीति में बदलाव करना ही होगा। UP Election Result: BJP की जीत के बाद रिपेयर होकर ऑफिस पहुंचा बुलडोजर, समर्थकों ने ये कहाUP Chunav 2022: एक दौर था जब यूपी की सियासत में मुस्लिम वोटरों (Muslim Voters in UP) का रसूख होता था। वो चुनावी हवा बदल देते थे। हालांकि, इस वोट बैंक (Muslim Vote Bank) की वो ताकत अब लुप्त होती दिख रही है। सूबे की सत्‍ता में बीजेपी (BJP returning to Power) का दूसरी बार लौटना एक बात साफ कर देता है। अब मुस्लिम वोटरों को अपना स्‍टैंड बदलने की जरूरत है। अभी उनकी छवि घोर एंटी-बीजेपी वाली है। ये साफ हो गया है कि अब रणनीतिक वोटिंग से मुस्लिम वोटर उलटफेर नहीं कर सकते हैं। ऐसे में उन्‍हें बीजेपी को दुश्‍मन की तरह देखना बंद करना होगा। जहां तक बीजेपी का सवाल है तो वह अपनी रणनीति में सफल साबित हुई है। वह जातियों में बंटे हिंदुओं को हिंदुत्‍व के मुद्दे पर एकसाथ लाने में कामयाब हुई है। उसका धुआंधार प्रदर्शन इसकी बानगी है। राज्‍य में बीएसपी का धीरे-धीरे जमीन खोना भी इसका सबूत है। थोड़ा पीछे चलते हैं। 2014 से पहले। तब मुस्लिम वोट बैंक काफी मजबूत था। सपा, बीएसपी और कांग्रेस जिस तरफ ये वोटर चले जाते थे, उसके वारे-न्‍यारे कर देते थे। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं। यूपी में मुस्लिम वोटरों की तादाद 19 फीसदी से ज्‍यादा है। प्रदेश के 29 जिलों में मुसलमानों की आबादी इस औसत से कहीं ज्यादा है। रामपुर में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा 50.57 फीसदी है। मुरादाबाद और संभल में 47.12 फीसदी, बिजनौर में 43.03 फीसदी, सहारनपुर में 41.95 फीसदी, मुजफ्फरनगर और शामली में 41.30 फीसदी और अमरोहा में 40.78 फीसदी है। Election Results : फर्क कितना साफ? फैसला आज, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के नतीजे आजइनके अलावा 5 जिलों में मुसलमानों की आबादी 30 से 40 और 12 जिलों में 20 से 30 फीसदी के बीच है। कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां मुसलमानों की आबादी 19 फीसदी से ज्यादा और 20 फीसदी से कम है। सीतापुर में मुस्लिम आबादी 19.93 फीसदी, अलीगढ़ में 19.85 फीसदी, गोंडा में 19.76 फीसदी और मऊ में 19.43 फीसदी है। इन 29 जिलों में 163 विधानसभा सीटें हैं। संख्या के लिहाज से ये इन सीटों पर हार-जीत तय करने का दमखम रखते हैं। यह और बात है कि 2017 के चुनाव में सिर्फ 25 मुस्लिम ही विधायक बन पाए। 2014 के बाद मुस्लिम वोटों की अहमियत लगातार घटती गई है। 2012 में सपा को पहली बार पूर्ण बहुमत मिला था। इस जीत में मुस्लिम बहुल जिलों की सीटों का अहम योगदान था। इन 29 जिलों की 163 सीटों में सपा को 90 सीटें मिली थीं। बीएसपी को 30, बीजेपी को 22 और कांग्रेस को 11 सीटें मिली थीं। बीजेपी ने किया अलग एक्‍सपेरिमेंटपरंपरागत लड़ाई से हटकर बीजेपी ने पिछले चुनावों में एक भी मुसलमान प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया था। इसके बावजूद पार्टी ने राज्‍य में बड़ी जीत हासिल की थी। पिछले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल 29 जिलों की 163 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 137 सीटें जीती थीं। दलितों के लिए आरक्षित 31 सीटों में बीजेपी को 29 सीटें मिली थीं। सपा इनमें से सिर्फ 21 सीटें जीत पाई थी और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन था। बसपा को सिर्फ एक सीट पर ही जीत मिली थी। एक-एक सीट आरएलडी और अपना दल को मिली थी।ब्लॉग: यही रात अंतिम, यही रात भारी… चुनाव नतीजों से पहले पार्टियों में बेचैनीबीजेपी के सफल प्रयोग से डरे दूसरे दलयहां एक और बात समझनी होगी। मुस्लिम वोटरों को लेकर कांग्रेस, बीएसपी और सपा सहित तमाम दलों की स्‍ट्रैटेजी में भी बदलाव आया है। मुस्लिमों के मुद्दों पर जिस तरह से इन्‍होंने अपनी राजनीति की, उसे लेकर हिंदू वोटर इन सभी पार्टियों से धीरे-धीरे दूर गया। इसने बीजेपी को हिंदुत्‍व के एजेंडे पर जातियों में बंटे हिंदुओं को लामबंद करने का मौका दे दिया। जब दूसरी पार्टियों ने देखा कि उनकी छवि मुस्लिम समर्थक वाली बनने लगी है तो वो भी बीच का रास्‍ता अपनाने लगे। उन्‍होंने भी हिंदू और हिंदुत्‍व की बाते करनी शुरू कर दीं। हालांकि, तब तक देर हो चुकी थी। हिंदुओं को लामबंद कर बीजेपी 2014 से लगातार एक के बाद एक चुनाव जीतती जा रही है। यह सिलसिला बदस्‍तूर जारी है। तीन दशक के बाद योगी पहले सीएम होंगे जो अपने पद पर बने रहेंगे। मुस्लिमों के लिए क्‍या है ऑप्‍शन?मुस्लिमों को अब अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। उन्‍हें अपनी रणनीतिक वोटिंग की ताकत को बनाए रखना है। हालांकि, उन्‍हें बीजेपी को दुश्‍मन मानकर नहीं चलना होगा। उन्‍हें एंटी-बीजेपी वाली छवि को तोड़ना होगा। मुस्लिमों को नई राह पकड़नी होगी। इसी से वो अलग जगह बना पाएंगे।Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें Web Title : up election results 2022: bsp losing ground, hindus mobilizing why muslim voters need to change their stand on bjp?Hindi News from Navbharat Times, TIL Network

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