लखनऊ में BJP को नहीं मिलेगा शिया मुस्लिमों का साथ? 3 सीटों पर गड़बड़ हो सकता है गणित

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Edited by ऐश्वर्य कुमार राय | इकनॉमिक टाइम्स | Updated: Feb 21, 2022, 3:42 PM

शियाओं का झुकाव बीजेपी की तरफ देखा जाता है। और इसके पीछे बड़ी वजह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हैं। दोनों ही दिग्गज नेताओं की राजनीति लखनऊ संसदीय सीट की रही है। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में यह वर्ग बीजेपी से खिसकता दिख रहा है। इसकी वजह योगी सरकार पर लग रहा भेदभाव और उपेक्षा का आरोप है।

शिया धर्म गुरू कल्वे जव्वाद की मांग, मोहर्रम जुलूस पर पाबंदी हटाए सरकार

लखनऊ: लखनऊ जिले की राजनीति (Lucknow Politics) में मुसलमान (Muslim) और खासकर शिया (Shia) मुसलमानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। शियाओं का झुकाव बीजेपी की तरफ देखा जाता है। और इसके पीछे बड़ी वजह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हैं। दोनों ही दिग्गज नेताओं की राजनीति लखनऊ संसदीय सीट की रही है। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में यह वर्ग बीजेपी से खिसकता दिख रहा है। इसकी वजह योगी सरकार पर लग रहा भेदभाव और उपेक्षा का आरोप है। लखनऊ को शिया मुसलमानों का केंद्र माना जाता है। प्रदेश की आबादी में शियाओं की भागीदारी 3 से 4 प्रतिशत है। लखनऊ में पश्चिम, उत्तर और सेंट्रल इन 3 सीटों पर कुल मिलाकर डेढ़ से 2 लाख शिया मुसलमान हैं। 20 साल पुराने अजादारी विवाद को सुलझाने और मुहर्रम के दौरान धार्मिक जुलूस निकालने की इजाजत देने की वजह से शिया मुसलमान, अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान करती है। इस विरासत को बरकरार रखने के लिए दो बार के सांसद राजनाथ सिंह का भी सम्मान होता है।

हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान योगी सरकार के कुछ फैसलों को लेकर शिया मुस्लिमों में भी बीजेपी के प्रति नाराजगी बढ़ी है। 2017 के चुनाव में मोदी लहर के दौरान बीजेपी के लिए मतदान करने वाले शिया इस बार खफा-खफा से नजर आ रहे हैं। इसकी प्रमुख वजहों में से पिछले दो सालों से कोविड का हवाला देकर मुहर्रम सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भेदभाव शामिल है।

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मुहर्रम के दौरान जुलूस पर प्रतिबंध, इमामबाड़े में धार्मिक उपदेश पर रोक को लेकर नाराज शियाओं का कहना है कि होली और दिवाली पर्व पर कोविड प्रतिबंध क्यों नहीं लगाए जाते हैं? हुसैनाबाद घंटाघर के पास दुकान लगाने वाले असनैन आगा ने कहा, ‘लोगों को ताजिया तक बेचने की इजाजत नहीं थी। दो लोग भी ताजिया लेकर जा रहे थे तो पुलिस का खौफ रहता था। भारी संख्या में फोर्स तैनात करके दबाया गया।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस बार शिया और सुन्नी दोनों ही समाजवादी पार्टी के प्रति लामबंद हैं।

जौहरी मोहल्ला के पास दुकान लगाने वाले अकील ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल केवल होली और दिवाली के दौरान क्यों नहीं रहता है? मार्केट खुले ही रहते हैं। शिया मरकजी चांद कमिटी के अध्यक्ष सैफ अब्बास ने कहा कि अगर बीजेपी को समर्थन चाहिए था तो कम से कम हम लोगों से मिलने की या पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए थी। हिंदुओं की हर छोटी-छोटी जाति को साधा जा रहा है। ऐसे में शियाओं के पास भी आना चाहिए था। हमारी समस्याएं सुननी चाहिए थी।

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लखनऊ में CAA-NRC विरोधी दंगों के बाद लगे पोस्टरों में सैफ अब्बास की तस्वीरें भी लगी थीं। इस बात की नाराजगी भी समुदाय में है। मुहर्रम के दौरान पुलिस गाइडलाइंस की भी भूमिका रही। शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने भी गाइडलाइंस पर आपत्ति जताई थी, जिसमें समुदाय की खराब पहलुओं की चर्चा की गई थी।

राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह लखनऊ की सभा में बिना भेदभाव के बीजेपी की कल्याणकारी नीतियों, जैसे कि मुफ्त राशन, किसान सम्मन निधि के तहत आर्थिक सहयोग की बात की। वहीं बीजेपी के जिला अध्यक्ष श्रीकृष्ण लोधी ने इन बातों को खारिज करते हुए कहा, ‘राजनाथ सिंह जी ने धार्मिक नेताओं के साथ मुलाकात की थी। वोट देते समय लोग देश और राज्य के मुज्जों को वरीयता देंगे।’

सांकेतिक तस्वीर

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Web Title : shia muslims of lucknow may not opt for bjp this time around up polls 2022 yogi govt
Hindi News from Navbharat Times, TIL Network

Reported by Vatsala Gaur | Edited by ऐश्वर्य कुमार राय | इकनॉमिक टाइम्स | Updated: Feb 21, 2022, 3:42 PMशियाओं का झुकाव बीजेपी की तरफ देखा जाता है। और इसके पीछे बड़ी वजह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हैं। दोनों ही दिग्गज नेताओं की राजनीति लखनऊ संसदीय सीट की रही है। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में यह वर्ग बीजेपी से खिसकता दिख रहा है। इसकी वजह योगी सरकार पर लग रहा भेदभाव और उपेक्षा का आरोप है। शिया धर्म गुरू कल्वे जव्वाद की मांग, मोहर्रम जुलूस पर पाबंदी हटाए सरकारलखनऊ: लखनऊ जिले की राजनीति (Lucknow Politics) में मुसलमान (Muslim) और खासकर शिया (Shia) मुसलमानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। शियाओं का झुकाव बीजेपी की तरफ देखा जाता है। और इसके पीछे बड़ी वजह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हैं। दोनों ही दिग्गज नेताओं की राजनीति लखनऊ संसदीय सीट की रही है। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में यह वर्ग बीजेपी से खिसकता दिख रहा है। इसकी वजह योगी सरकार पर लग रहा भेदभाव और उपेक्षा का आरोप है। लखनऊ को शिया मुसलमानों का केंद्र माना जाता है। प्रदेश की आबादी में शियाओं की भागीदारी 3 से 4 प्रतिशत है। लखनऊ में पश्चिम, उत्तर और सेंट्रल इन 3 सीटों पर कुल मिलाकर डेढ़ से 2 लाख शिया मुसलमान हैं। 20 साल पुराने अजादारी विवाद को सुलझाने और मुहर्रम के दौरान धार्मिक जुलूस निकालने की इजाजत देने की वजह से शिया मुसलमान, अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान करती है। इस विरासत को बरकरार रखने के लिए दो बार के सांसद राजनाथ सिंह का भी सम्मान होता है। हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान योगी सरकार के कुछ फैसलों को लेकर शिया मुस्लिमों में भी बीजेपी के प्रति नाराजगी बढ़ी है। 2017 के चुनाव में मोदी लहर के दौरान बीजेपी के लिए मतदान करने वाले शिया इस बार खफा-खफा से नजर आ रहे हैं। इसकी प्रमुख वजहों में से पिछले दो सालों से कोविड का हवाला देकर मुहर्रम सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भेदभाव शामिल है। Fourth Phase Polling: बीजेपी सरकार ने रायबरेली के साथ किया सौतेला व्यवहार… संसदीय क्षेत्र में वोटिंग से पहले सोनिया गांधी ने की कांग्रेस को जिताने की अपीलमुहर्रम के दौरान जुलूस पर प्रतिबंध, इमामबाड़े में धार्मिक उपदेश पर रोक को लेकर नाराज शियाओं का कहना है कि होली और दिवाली पर्व पर कोविड प्रतिबंध क्यों नहीं लगाए जाते हैं? हुसैनाबाद घंटाघर के पास दुकान लगाने वाले असनैन आगा ने कहा, ‘लोगों को ताजिया तक बेचने की इजाजत नहीं थी। दो लोग भी ताजिया लेकर जा रहे थे तो पुलिस का खौफ रहता था। भारी संख्या में फोर्स तैनात करके दबाया गया।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस बार शिया और सुन्नी दोनों ही समाजवादी पार्टी के प्रति लामबंद हैं। जौहरी मोहल्ला के पास दुकान लगाने वाले अकील ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल केवल होली और दिवाली के दौरान क्यों नहीं रहता है? मार्केट खुले ही रहते हैं। शिया मरकजी चांद कमिटी के अध्यक्ष सैफ अब्बास ने कहा कि अगर बीजेपी को समर्थन चाहिए था तो कम से कम हम लोगों से मिलने की या पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए थी। हिंदुओं की हर छोटी-छोटी जाति को साधा जा रहा है। ऐसे में शियाओं के पास भी आना चाहिए था। हमारी समस्याएं सुननी चाहिए थी। Yogi Adityanath: मोहर्रम पर आती थी, दिवाली पर नहीं… हरदोई में बोले योगी- पहले बिजली का भी धर्म होता थालखनऊ में CAA-NRC विरोधी दंगों के बाद लगे पोस्टरों में सैफ अब्बास की तस्वीरें भी लगी थीं। इस बात की नाराजगी भी समुदाय में है। मुहर्रम के दौरान पुलिस गाइडलाइंस की भी भूमिका रही। शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने भी गाइडलाइंस पर आपत्ति जताई थी, जिसमें समुदाय की खराब पहलुओं की चर्चा की गई थी। राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह लखनऊ की सभा में बिना भेदभाव के बीजेपी की कल्याणकारी नीतियों, जैसे कि मुफ्त राशन, किसान सम्मन निधि के तहत आर्थिक सहयोग की बात की। वहीं बीजेपी के जिला अध्यक्ष श्रीकृष्ण लोधी ने इन बातों को खारिज करते हुए कहा, ‘राजनाथ सिंह जी ने धार्मिक नेताओं के साथ मुलाकात की थी। वोट देते समय लोग देश और राज्य के मुज्जों को वरीयता देंगे।’ सांकेतिक तस्वीरNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें Web Title : shia muslims of lucknow may not opt for bjp this time around up polls 2022 yogi govtHindi News from Navbharat Times, TIL Network

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