Janaki Jayanti 2022: कैसे हुआ था माता सीता का जन्म, जानिए जानकी जयंती से जुड़ी ये खास बातें

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Janaki Jayanti 2022: कैसे हुआ था माता सीता का जन्म, जानिए जानकी जयंती से जुड़ी ये खास बातें

Janaki Jayanti 2022: जानें जानकी जयंती के दिन पूजा करने का महत्व

खास बातें

  • जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है.
  • इसी दिन मिथिला में धरती से प्रकट हुई थीं माता सीता.
  • सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं व्रत.

नई दिल्ली:

माना जाता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन को जानकी जयंती (Janaki Jayanti 2022) के रूप में मनाया जाता है. इस साल जानकी जयंती 24 फरवरी को है. हर साल सीता अष्टमी या जानकी जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है. माता सीता और प्रभु श्री राम जी को आदर्श पति-पत्नी के रूप में माना जाता है, इसलिए ये दिन सुहागिन स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.

Janaki Jayanti 2022: कब है जानकी जयंती, जानिए पूजा विधि और मुहूर्त

मान्यता है कि सीता अष्टमी का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है, जीवन में आने वाली परेशानी दूर हो जाती है. सुहागिनों के लिए यह दिन बहुत खास माना जाता है, वे इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.

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माना जाता है कि इस दिन मिथिला के राजा जनक और रानी सुनयना की गोद में सीता आईं. अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र राम से सीता का विवाह हुआ. विवाह के बाद उन्होंने पति राम और देवर लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास भी भोगा. इतना ही नहीं, इस वनवास के दौरान उनका लंका के राजा रावण ने अपहरण किया.

वनवास के बाद भी वह हमेशा के लिए अयोध्या वापस नहीं जा सकीं. अपने पुत्रों के साथ उन्हें आश्रम में ही अपना जीवन व्यतीत करना पड़ा और आखिर में उन्हें अपने सम्मान की रक्षा के लिए धरती में ही समाना पड़ा.

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कैसे हुआ माता सीता का जन्म

रामायण के अनुसार, एक समय की बात है जब मिथिला के राजा जनक यज्ञ के लिए खेत को जोत रहे थे. उसी समय एक क्यारी में दरार पड़ गई और उसमें से एक नन्ही बच्ची प्रकट हुईं. उस समय राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, उन्होंने कन्या को गोद में ले लिया. आपको बता दें हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और यह कन्या हल चलाते हुए ही मिलीं, इसीलिए इनका नाम सीता रखा गया.

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कैसे मनाई जाती है जानकी जयंती

है. जानकी जयंती को सीता अष्टमी (Sita Ashtami) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन विधि-विधान से माता सीता का पूजन और व्रत किया जाता है. पूजा की शुरुआत भगवान गौरी गणेश और अंबिका जी से होती है. पूजन के समय माता सीता को पीले फूल, कपड़े और सुहागिन का श्रृंगार अर्पित किया जाता है. बाद में 108 बार इस मंत्र का जाप किया जाता है. मान्यता है कि यह पूजा खासकर विवाहित महिलाओं के लिए लाभकारी होती है. इससे वैवाहिक जीवन की समस्याएं ठीक दूर हो जाती हैं.

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पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप

श्री जानकी रामाभ्यां नमः

जय श्री सीता राम

श्री सीताय नमः

जानकी जयंती के कई नाम

माता सीता के अनेकों नाम हैं. हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और राजा जनक को वह खेत में हल चलाने के दौरान प्राप्त हुई थीं, इसीलिए उनका नाम सीता रखा गया. भूमि में पाए जाने की वजह से उन्हें भूमिपुत्री या भूसुता भी कहा जाता है. वहीं, राजा जानक की पुत्री होने की वजह से उन्हें जानकी, जनकात्मजा और जनकसुता भी कहा जाने लगा. वह मिथिला की राजकुमारी थीं इसीलिए उनका नाम मैथिली भी पड़ा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Janaki Jayanti 2022: जानें जानकी जयंती के दिन पूजा करने का महत्वखास बातेंजानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन मिथिला में धरती से प्रकट हुई थीं माता सीता. सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं व्रत.नई दिल्ली: माना जाता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन को जानकी जयंती (Janaki Jayanti 2022) के रूप में मनाया जाता है. इस साल जानकी जयंती 24 फरवरी को है. हर साल सीता अष्टमी या जानकी जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है. माता सीता और प्रभु श्री राम जी को आदर्श पति-पत्नी के रूप में माना जाता है, इसलिए ये दिन सुहागिन स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.Janaki Jayanti 2022: कब है जानकी जयंती, जानिए पूजा विधि और मुहूर्तमान्यता है कि सीता अष्टमी का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है, जीवन में आने वाली परेशानी दूर हो जाती है. सुहागिनों के लिए यह दिन बहुत खास माना जाता है, वे इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.Pradosh Vrat 2022: सर्वार्थ सिद्धि योग में है सोम प्रदोष व्रत, जानें महादेव की पूजा का मुहूर्त और महत्वमाना जाता है कि इस दिन मिथिला के राजा जनक और रानी सुनयना की गोद में सीता आईं. अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र राम से सीता का विवाह हुआ. विवाह के बाद उन्होंने पति राम और देवर लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास भी भोगा. इतना ही नहीं, इस वनवास के दौरान उनका लंका के राजा रावण ने अपहरण किया.वनवास के बाद भी वह हमेशा के लिए अयोध्या वापस नहीं जा सकीं. अपने पुत्रों के साथ उन्हें आश्रम में ही अपना जीवन व्यतीत करना पड़ा और आखिर में उन्हें अपने सम्मान की रक्षा के लिए धरती में ही समाना पड़ा.कैसे हुआ माता सीता का जन्मरामायण के अनुसार, एक समय की बात है जब मिथिला के राजा जनक यज्ञ के लिए खेत को जोत रहे थे. उसी समय एक क्यारी में दरार पड़ गई और उसमें से एक नन्ही बच्ची प्रकट हुईं. उस समय राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, उन्होंने कन्या को गोद में ले लिया. आपको बता दें हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और यह कन्या हल चलाते हुए ही मिलीं, इसीलिए इनका नाम सीता रखा गया.कैसे मनाई जाती है जानकी जयंतीहै. जानकी जयंती को सीता अष्टमी (Sita Ashtami) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन विधि-विधान से माता सीता का पूजन और व्रत किया जाता है. पूजा की शुरुआत भगवान गौरी गणेश और अंबिका जी से होती है. पूजन के समय माता सीता को पीले फूल, कपड़े और सुहागिन का श्रृंगार अर्पित किया जाता है. बाद में 108 बार इस मंत्र का जाप किया जाता है. मान्यता है कि यह पूजा खासकर विवाहित महिलाओं के लिए लाभकारी होती है. इससे वैवाहिक जीवन की समस्याएं ठीक दूर हो जाती हैं.पूजा के समय करें इन मंत्रों का जापश्री जानकी रामाभ्यां नमःजय श्री सीता रामश्री सीताय नमःजानकी जयंती के कई नाममाता सीता के अनेकों नाम हैं. हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और राजा जनक को वह खेत में हल चलाने के दौरान प्राप्त हुई थीं, इसीलिए उनका नाम सीता रखा गया. भूमि में पाए जाने की वजह से उन्हें भूमिपुत्री या भूसुता भी कहा जाता है. वहीं, राजा जानक की पुत्री होने की वजह से उन्हें जानकी, जनकात्मजा और जनकसुता भी कहा जाने लगा. वह मिथिला की राजकुमारी थीं इसीलिए उनका नाम मैथिली भी पड़ा.(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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