पश्चिम यूपी में सांसदों की साख दांव पर, 113 MLA की जीत-हार पर तय होगा 22 MP का भविष्‍य

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Edited by आलोक भदौरिया | नवभारत टाइम्स | Updated: Feb 14, 2022, 9:33 PM

यूपी में अब तक दो चरणों की वोटिंग हो चुकी है। कुल 113 विधानसभा सीटों पर अपनी-अपनी पार्टी के एमएलए को जिताने की जिम्‍मेदारी उस क्षेत्र के सांसद की बन गई थी। इनकी चुनाव परिणाम बहुत हद तक तय करेंगे कि उस क्षेत्र के सांसद को पार्टी टिकट देती है या नहीं।

Yogi Adityanath ने कहा था- बड़े बाप के बेटे हैं, 12 घंटे सोते हैं, हमीरपुर में Akhilesh Yadav ने दिया जवाब

हाइलाइट्स

  • चुनाव से जुड़े 22 एमपी का खुद का चुनाव हालांकि 2024 में होगा, लेकिन दो साल पहले ही 2022 में चुनावी रण में खुद की पकड़ दिखानी पड़ गई
  • हाईकमान ने उन्हें अपनी लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों को जिताने और खुद के बराबर वोट दिलाने की जिम्मा सौंपा हुआ है
  • अगर उनके क्षेत्र की सीटों पर उनकी पार्टी के एमएलए कैंडिडेट का चुनाव हार जाते हैं, तब न्‍हें 2024 में टिकट हासिल करने में मुश्किल खड़ी हो सकती है
मेरठ: यूपी के रण में अब तक 113 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हो चुकी हैं। पहले फेज की 58 और दूसरे फेज (up election phase 2 voting) में सोमवार को 55 सीटों पर वोट पड़ चुके हैं। चुनाव भले ही विधायक का लड़ा जा रहा हो, लेकिन इस चुनावी इम्तिहान को भाजपा (BJP) , सपा (SP) और बसपा (BSP) के सांसदों (एमपी) को भी पास करना होगा, तभी उनके लिए 2024 में चुनावी रण आसान हो सकेगा।

ऐसा इसलिए क्‍योंकि क्योंकि इन 22 एमपी पर दबाव है कि विधानसभा चुनाव में जिस तरह 2019 में खुद ने वोट हासिल किए थे उसी तरह पार्टी कैंडिडेट को वोट दिलाएं। हालांकि इस बार किसान आंदोलन और दूसरी वजह से बदले सियासी हालात में हुए मतदान का रुख देख कई एमपी का तिलिस्म टूटने का खतरा मंडराता दिख रहा है।
UP Chunav 2022: सपा के लिए भारी पड़ सकती है देवरिया की बरहज विधानसभा सीट, जानिए क्यों
बरकरार है जनाधार साबित करने की चुनौती
चुनाव से जुड़े 22 एमपी का खुद का चुनाव हालांकि 2024 में होगा, लेकिन दो साल पहले ही 2022 में चुनावी रण में खुद की पकड़ दिखानी पड़ गई। हाईकमान ने उन्हें अपनी लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों को जिताने और खुद के बराबर वोट दिलाने की जिम्मा सौंपा हुआ है। ऐसे में अगर उनके लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी के एमएलए कैंडिडेट का चुनाव हार जाते हैं, तब इन एमपी को 2024 के चुनाव में टिकट हासिल करने में मुश्किल खड़ी हो सकती है इसी के साथ हारे एमपी कैंडिडेट अगर अपनी पार्टी के कैंडिडेट को एमएलए इस बार बनवा देते हैं तब उनके लिए टिकट हासिल करने में आसानी संभव है।

2019 में 22 एमपी का यह था रिपोर्ट कार्ड
2019 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के तहत बुढ़ाना और चरथावल में आरएलडी और मुजफ्फरनगर, खतौली व सरधना में बीजेपी आगे रही थी। आरएलडी नेता अजित सिंह को हराने वाले बीजेपी के संजीव बालियान थे। वह अब केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में लोनी, साहिबाबाद, मुरादनगर और गाजियाबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी आगे रही थी, जबकि धौलाना में हार गई। गाजियाबाद से भाजपा के वीके सिंह जीते थे जो अब केंद्र में मंत्री हैं।

आगरा जिले की 2019 के लोकसभा चुनाव में एत्मादपुर, आगरा कैंट, आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, जलेसर विधानसभा सीटों पर बीजेपी जीते थे। बघेल एमपी बने थे। अब केंद्र में मंत्री हैं। इस बार वह खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने करहल से विधानसभा चुनाव लड़ रहे है, साथ ही आगरा की सभी सीटों पर अपनी सरीखी जीत दिलाने की दबाव साफ दिखा। मोदी के बाकी मंत्रियों पर भी बीजेपी कैंडिडेट को जिताने का दबाव है।

इन सांसदों की भी विजय दिलाने की परीक्षा
सहारनपुर लोकसभा सीट से 2019 में हाजी फजलुर्रहमान ने बीएसपी कैंडिडेट के तौर पर तब कामयाबी हासिल की थी जब उनको तीन विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र के पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, चांदपुर और हस्तिनापुर में सभी जगह जीत हासिल कर एमपी बने थे। बीजेपी सब जगह हारी थी। इस बार कमजोर आंकी जा रही बीएसपी को जिताने में मलूक नागर को मुश्किल हो सकती है।

बिजनौर की नगीना रिजर्व सीट बीएसपी के गिरीश चंद तीन विधानसभा सीटों में आगे रहे थे, जो उनकी जीत का आधार बना था। मेरठ लोकसभा क्षेत्र में राजेंद्र अग्रवाल बीजेपी से एमपी बने जरूर थे लेकिन किठौर, मेरठ शहर, मेरठ दक्षिण, हापुड़ विधानसभा सीट पर 2019 में बसपा आगे थी। अग्रवाल जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। अमरोहा से बीएसपी के दानिश अली खान कई विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे थे।

मुरादाबाद लोकसभा सीट पर डॉक्टर एचटी हसन बतौर सपा कैंडिडेट तीन सीटों पर विधानसभा सीटों पर आगे रहे थे, तब एमपी बने थे। संभल लोकसभा सीट पर शफीकुर्रहमान बर्क 2019 में जीते थे। उनको कई विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी। रामपुर लोकसभा से सपा के कद्दावर नेता आजम खान सभी विधानसभा सीटों में जीत दर्ज कर एमपी बने थे। बदायूं में बीजेपी की डॉक्टर संघमित्रा मौर्य ने विधानसभा क्षेत्रों में बेहतर वोट हासिल कर ही परचम लहराया था। बरेली में बीजेपी के संतोष कुमार गंगवार और शाहजहांपुर में बीजेपी के अरुण कुमार सागर की लोकसभा में तभी बतौर एमपी एंट्री हुई थी जब उनको उनके क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्र में जीत मिली थी।

इन एमपी पर भी परचम लहराने का प्रेशर
बागपत लोकसभा में 2019 मे सिवालखास, छपरौली सपा बसपा रालोद गठबंधन आगे रहा था, लेकिन छपरौली, बागपत और मोदीनगर में बीजेपी बड़े अंतर से जीती थी। भाजपा के सत्यपाल सिंह एमपी बने थे। शामली जिले की कैराना लोकसभा क्षेत्र में कैराना, थाना भवन और शामली में भाजपा आगे रही थी। इसी क्षेत्र की सहारनपुर जिले की सीट नकुड़ में सपा और गंगोह में भाजपा आगे थी।

भाजपा के एमपी प्रदीप चौधरी है। गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र में नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद और खुर्जा सभी विधानसभा सीट में भाजपा आगे रही थी। भाजपा के महेश शर्मा एमपी बने थे। बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र के बुलंदशहर, सदर, स्याना, अनूपशहर, डिबाई और शिकारपुर पांचों विधानसभा सीट पर भाजपा के भोला सिंह ने बढ़त लेकर एमपी बने थे। अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में खैर, अलीगढ़, बरौली, अतरौली और कोल पांचों सीटें भाजपा आगे रही थी। एमपी सतीश गौतम बने थे। 2019 में हाथरस लोकसभा क्षेत्र की छर्रा, इगलास, सादाबाद, सिकंदरा में भाजपा आगे रही थी। एमपी राजवीर दिलेर बने थे। मथुरा लोकसभा क्षेत्र में छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बल्देव में बीजेपी आगे रहीं थी। यहां से हेमामालिनी जीती थीं। आगरा जिले की फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र में 2019 में आगरा ग्रामीण, खैरागढ़, बाह , फतेहाबाद व फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट में बीजेपी के राजकुमार चाहर आगे रहकर एमपी बने थे।

sanjeev baliyan malook nagar satyapal singh

संजीव बालियान, मलूक नागर, सत्‍यपाल सिंह (फाइल फोटो)

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Web Title : west up assembly seats analysis of up elections 2022 second phase
Hindi News from Navbharat Times, TIL Network

Authored by शादाब रिजवी | Edited by आलोक भदौरिया | नवभारत टाइम्स | Updated: Feb 14, 2022, 9:33 PMयूपी में अब तक दो चरणों की वोटिंग हो चुकी है। कुल 113 विधानसभा सीटों पर अपनी-अपनी पार्टी के एमएलए को जिताने की जिम्‍मेदारी उस क्षेत्र के सांसद की बन गई थी। इनकी चुनाव परिणाम बहुत हद तक तय करेंगे कि उस क्षेत्र के सांसद को पार्टी टिकट देती है या नहीं। Yogi Adityanath ने कहा था- बड़े बाप के बेटे हैं, 12 घंटे सोते हैं, हमीरपुर में Akhilesh Yadav ने दिया जवाबहाइलाइट्सचुनाव से जुड़े 22 एमपी का खुद का चुनाव हालांकि 2024 में होगा, लेकिन दो साल पहले ही 2022 में चुनावी रण में खुद की पकड़ दिखानी पड़ गईहाईकमान ने उन्हें अपनी लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों को जिताने और खुद के बराबर वोट दिलाने की जिम्मा सौंपा हुआ हैअगर उनके क्षेत्र की सीटों पर उनकी पार्टी के एमएलए कैंडिडेट का चुनाव हार जाते हैं, तब न्‍हें 2024 में टिकट हासिल करने में मुश्किल खड़ी हो सकती हैमेरठ: यूपी के रण में अब तक 113 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हो चुकी हैं। पहले फेज की 58 और दूसरे फेज (up election phase 2 voting) में सोमवार को 55 सीटों पर वोट पड़ चुके हैं। चुनाव भले ही विधायक का लड़ा जा रहा हो, लेकिन इस चुनावी इम्तिहान को भाजपा (BJP) , सपा (SP) और बसपा (BSP) के सांसदों (एमपी) को भी पास करना होगा, तभी उनके लिए 2024 में चुनावी रण आसान हो सकेगा। ऐसा इसलिए क्‍योंकि क्योंकि इन 22 एमपी पर दबाव है कि विधानसभा चुनाव में जिस तरह 2019 में खुद ने वोट हासिल किए थे उसी तरह पार्टी कैंडिडेट को वोट दिलाएं। हालांकि इस बार किसान आंदोलन और दूसरी वजह से बदले सियासी हालात में हुए मतदान का रुख देख कई एमपी का तिलिस्म टूटने का खतरा मंडराता दिख रहा है।UP Chunav 2022: सपा के लिए भारी पड़ सकती है देवरिया की बरहज विधानसभा सीट, जानिए क्योंबरकरार है जनाधार साबित करने की चुनौतीचुनाव से जुड़े 22 एमपी का खुद का चुनाव हालांकि 2024 में होगा, लेकिन दो साल पहले ही 2022 में चुनावी रण में खुद की पकड़ दिखानी पड़ गई। हाईकमान ने उन्हें अपनी लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों को जिताने और खुद के बराबर वोट दिलाने की जिम्मा सौंपा हुआ है। ऐसे में अगर उनके लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी के एमएलए कैंडिडेट का चुनाव हार जाते हैं, तब इन एमपी को 2024 के चुनाव में टिकट हासिल करने में मुश्किल खड़ी हो सकती है इसी के साथ हारे एमपी कैंडिडेट अगर अपनी पार्टी के कैंडिडेट को एमएलए इस बार बनवा देते हैं तब उनके लिए टिकट हासिल करने में आसानी संभव है। 2019 में 22 एमपी का यह था रिपोर्ट कार्ड2019 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के तहत बुढ़ाना और चरथावल में आरएलडी और मुजफ्फरनगर, खतौली व सरधना में बीजेपी आगे रही थी। आरएलडी नेता अजित सिंह को हराने वाले बीजेपी के संजीव बालियान थे। वह अब केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में लोनी, साहिबाबाद, मुरादनगर और गाजियाबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी आगे रही थी, जबकि धौलाना में हार गई। गाजियाबाद से भाजपा के वीके सिंह जीते थे जो अब केंद्र में मंत्री हैं। आगरा जिले की 2019 के लोकसभा चुनाव में एत्मादपुर, आगरा कैंट, आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, जलेसर विधानसभा सीटों पर बीजेपी जीते थे। बघेल एमपी बने थे। अब केंद्र में मंत्री हैं। इस बार वह खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने करहल से विधानसभा चुनाव लड़ रहे है, साथ ही आगरा की सभी सीटों पर अपनी सरीखी जीत दिलाने की दबाव साफ दिखा। मोदी के बाकी मंत्रियों पर भी बीजेपी कैंडिडेट को जिताने का दबाव है।इन सांसदों की भी विजय दिलाने की परीक्षासहारनपुर लोकसभा सीट से 2019 में हाजी फजलुर्रहमान ने बीएसपी कैंडिडेट के तौर पर तब कामयाबी हासिल की थी जब उनको तीन विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र के पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, चांदपुर और हस्तिनापुर में सभी जगह जीत हासिल कर एमपी बने थे। बीजेपी सब जगह हारी थी। इस बार कमजोर आंकी जा रही बीएसपी को जिताने में मलूक नागर को मुश्किल हो सकती है। बिजनौर की नगीना रिजर्व सीट बीएसपी के गिरीश चंद तीन विधानसभा सीटों में आगे रहे थे, जो उनकी जीत का आधार बना था। मेरठ लोकसभा क्षेत्र में राजेंद्र अग्रवाल बीजेपी से एमपी बने जरूर थे लेकिन किठौर, मेरठ शहर, मेरठ दक्षिण, हापुड़ विधानसभा सीट पर 2019 में बसपा आगे थी। अग्रवाल जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। अमरोहा से बीएसपी के दानिश अली खान कई विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे थे। मुरादाबाद लोकसभा सीट पर डॉक्टर एचटी हसन बतौर सपा कैंडिडेट तीन सीटों पर विधानसभा सीटों पर आगे रहे थे, तब एमपी बने थे। संभल लोकसभा सीट पर शफीकुर्रहमान बर्क 2019 में जीते थे। उनको कई विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी। रामपुर लोकसभा से सपा के कद्दावर नेता आजम खान सभी विधानसभा सीटों में जीत दर्ज कर एमपी बने थे। बदायूं में बीजेपी की डॉक्टर संघमित्रा मौर्य ने विधानसभा क्षेत्रों में बेहतर वोट हासिल कर ही परचम लहराया था। बरेली में बीजेपी के संतोष कुमार गंगवार और शाहजहांपुर में बीजेपी के अरुण कुमार सागर की लोकसभा में तभी बतौर एमपी एंट्री हुई थी जब उनको उनके क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्र में जीत मिली थी।इन एमपी पर भी परचम लहराने का प्रेशरबागपत लोकसभा में 2019 मे सिवालखास, छपरौली सपा बसपा रालोद गठबंधन आगे रहा था, लेकिन छपरौली, बागपत और मोदीनगर में बीजेपी बड़े अंतर से जीती थी। भाजपा के सत्यपाल सिंह एमपी बने थे। शामली जिले की कैराना लोकसभा क्षेत्र में कैराना, थाना भवन और शामली में भाजपा आगे रही थी। इसी क्षेत्र की सहारनपुर जिले की सीट नकुड़ में सपा और गंगोह में भाजपा आगे थी।भाजपा के एमपी प्रदीप चौधरी है। गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र में नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद और खुर्जा सभी विधानसभा सीट में भाजपा आगे रही थी। भाजपा के महेश शर्मा एमपी बने थे। बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र के बुलंदशहर, सदर, स्याना, अनूपशहर, डिबाई और शिकारपुर पांचों विधानसभा सीट पर भाजपा के भोला सिंह ने बढ़त लेकर एमपी बने थे। अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में खैर, अलीगढ़, बरौली, अतरौली और कोल पांचों सीटें भाजपा आगे रही थी। एमपी सतीश गौतम बने थे। 2019 में हाथरस लोकसभा क्षेत्र की छर्रा, इगलास, सादाबाद, सिकंदरा में भाजपा आगे रही थी। एमपी राजवीर दिलेर बने थे। मथुरा लोकसभा क्षेत्र में छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बल्देव में बीजेपी आगे रहीं थी। यहां से हेमामालिनी जीती थीं। आगरा जिले की फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र में 2019 में आगरा ग्रामीण, खैरागढ़, बाह , फतेहाबाद व फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट में बीजेपी के राजकुमार चाहर आगे रहकर एमपी बने थे।संजीव बालियान, मलूक नागर, सत्‍यपाल सिंह (फाइल फोटो)Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें Web Title : west 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